क्रिकेटर गौतम गंभीर/ Gautam Ghambir
भारतीय क्रिकेट इतिहास में क्रिकेटर गौतम गंभीर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
गौतम गंभीर भारत के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी हैं, जिन्होंने भारत के लिये क्रिकेट के सभी प्रारूप में खेला हैं।

गौतम गंभीर 2003 में बांग्लादेश के खिलाफ अपना एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय (वनडे) पदार्पण किया और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अगले वर्ष अपना पहला टेस्ट खेला।
विश्व ट्वेंटी 20 (75 रन) और क्रिकेट विश्व कप ( 97 रन) दोनों के फाइनल में भारत की ऐतिहासिक जीत में एक अभिन्न भूमिका निभाई।
छह वनडे मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की। जिसमें भारत ने सभी छह मैच जीते।
गौतम गंभीर निजी जीवन
गौतम गंभीर का जन्म 14 अक्टूबर 1981 को हुआ। gautam gambhir biography
उनके पिता दीपक गंभीर टेक्सटाइल बिजनेसमैन हैं एवं माँ का नाम सीमा है।
गौतम की एकता नाम की एक छोटी बहन भी है, जो उससे दो साल छोटी है।
गंभीर ने क्रिकेट खेलना 10 साल की उम्र में ही शुरू कर दिया था।क्रिकेटर गौतम गंभीर
राजू टंडन और दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री अकादमी से संजय भारद्वाज ने इन्हें कोच किया था।
इन्हें 2000 में बैंगलोर में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के लिए चुना गया था।
अक्टूबर 2011 में, गंभीर ने नताशा जैन से शादी की, gautam gambhir wife जो एक प्रमुख व्यवसायी परिवार से है।
वे वर्तमान में दिल्ली के राजेंद्र नगर क्षेत्र में रहते है।
गौतम गंभीर आईपीएल

इंडियन प्रीमियर लीग में इन्होंने अपनी शुरुआत gautam gambhir iplदिल्ली डेयरडेविल्स के साथ खेलते हुए की थी
इसके बाद ये कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए खेले जहाँ इन्होंने बहुत अच्छी कप्तानी करते हुए २ बार खिताब जीताया।
वहीं साल 2018 के इंडियन प्रीमियर लीग में इन्हें कोलकाता ने नहीं खरीदा और दिल्ली
डेयरडेविल्स ने वापस खरीदकर कप्तान बना दिया
लेकिन इन्होंने खराब प्रदर्शन के कारण 25 अप्रैल 2018 को कप्तानी छोड़ दी।
इसके अलावा इन्होंने यह भी दावा कर दिया कि वो इस बार सैलरी भी नहीं लेंगे।
अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर
क्रिकेटर गौतम गंभीर पहला शतक (97 गेंदों पर 103) 2005 में श्रीलंका के खिलाफ आया था।
2004 में, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के चौथे और आखिरी टेस्ट मैच में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया
उनका पहला टेस्ट शतक दिसंबर 2004 में बांग्लादेश के खिलाफ आया।gautam gambhir international career
साल 2005 में जिम्बाब्वे में 97 रन बनाए, लेकिन घर पर श्रीलंका के खिलाफ 30 तक पहुंचने में विफल रहे
बार-बार चमिंडा वास के खिलाफ संघर्ष करते रहे, और बाद में टेस्ट टीम से बाहर कर दिया गया था।
उन्हें टेस्ट में वसीम जाफर द्वारा प्रतिस्थापित किया गया, जिन्होंने सात टेस्ट में दोहरा शतक और एक शतक बनाया।
जब गंभीर टेस्ट टीम से बाहर थे, तब उन्होंने भारत के लिए कई एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले थे।
विश्व कप के लिए नहीं चुना गया था, क्योंकि चयनकर्ताओं ने सौरव गांगुली, वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर को शीर्ष क्रम के लिए चुना था।
इसने उन्हें बुरी तरह प्रभावित किया और गंभीर ने बाद में कहा कि “जब मैं विश्व कप के लिए नहीं चुना गया, तो कई बार मैं खेलना नहीं चाहता था, मैं अभ्यास नहीं करना चाहता था। मैं खुद को प्रेरित नहीं कर पाता था।
यह मानते हुए कि यह श्रृंखला उनका अंतिम मौका हो सकता है, गंभीर ने उस दौरे पर अपना दूसरा शतक बनाया और बाद में 2007 में भारत के आयरलैंड दौरे पर वन डे इंटरनेशनल के लिए चुने गए।
गंभीर को 2007 के आईसीसी वर्ल्ड ट्वेंटी 20 के लिए भारत की टीम में चुना गया, जिसे भारत ने दक्षिण अफ्रीका में जीत लिया, और फाइनल में पाकिस्तान को हरा दिया।
फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने 54 गेंदों पर 75 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली थी।
संन्यास
दिसंबर 2018 में, क्रिकेटर गौतम गंभीर क्रिकेट केgautam gambhir retirement सभी रूपों से अपने संन्यास की घोषणा की!
राजनैतिक जीवन
22 मार्च 2019 को, वे केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद की उपस्थिति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए।
उन्होंने 2019 के भारतीय आम चुनाव में पूर्वी दिल्ली से पार्टी के उम्मीदवार बने।
गौतम ने 695,109 वोट से आम आदमी पार्टी (आप) की प्रत्याशी आतिशी मार्लेना और
कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली को हराया।
पुरस्कार
भारत सरकार द्वारा गौतम गंभीर को 2008 में अऱजुन पुरूसकार से सम्मानित किया।2019 में इन्हें पद्मश्री से भी नवाजा जा चुका है।
हालांकि गंभीर ने कई ऐसे पारियां खेलीं जिन्हें हर क्रिकेट फैन याद रखेगा, लेकिन दो पारियां जिन्होंने गंभीर को क्रिकेट में अमर बना दिया।
2007 टी 20 विश्व कप फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ पहली पारी 75 रन।दूसरी पारी जिसने पूरे देश को झूमने पर मजबूर कर दिया। यह पारी 2011 विश्व कप फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ थी और वह भी लक्ष्य का पीछा करते हुए।गंभीर के फैन होने के लिए 97 रन की पारी को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
धोनी के एक छक्के में गंभीर के योगदान को लोग भूल गए। उस मैच में केवल गौतम गंभीर ही सही मैन ऑफ द मैच थे। गौतम गंभीर क्रिकेट के असली योद्धा थे।
भारतीय क्रिकेट इतिहास में गौतम गंभीर का योगदान अतुलनीय रहा है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।